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लेखनी प्रतियोगिता -11-Nov-2022 मेरी शिमला यात्रा

मेरी शिमला यात्रा 


हर एक यात्रा विशेष होती है । हर यात्रा में कुछ ऐसी बातें होती हैं जो हमेशा याद रहतीं हैं । यादें सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार की होतीं हैं । आज मैं अपनी पहली शिमला यात्रा का संस्मरण यहां पर शेयर कर रहा हूं । 
सन 2003 में भारत निर्वाचन आयोग ने शिमला में एक वर्कशॉप आयोजित की थी । वर्कशॉप चार दिन की थी । मैं उन दिनों गंगानगर में उपखंड मजिस्ट्रेट के पद पर पदस्थापित था । राजस्थान से दो या तीन अधिकारियों का चयन किया गया था , इस वर्कशॉप में भाग लेने के लिए , उनमें से एक मैं था । 
जब यह तय हो गया कि मुझे शिमला जाना ही है तो मैंने सोचा कि क्यों ना श्रीमती जी को साथ ले जाया जाये ? मैंने उनसे साथ चलने का आग्रह किया । तब तक हमने हिमाचल प्रदेश देखा भी नहीं था । देखा क्या सुना भी नहीं था । शिमला के लिए कौन मना करेगा ? श्रीमती जी तुरंत राजी हो गईं । बेटी छोटी थी उसे भी शिमला जाना अच्छा लगा । 
गंगानगर से ट्रेन सीधे कालका तक जाती थी । कालका से एक टॉय ट्रेन शिमला के लिए जाती थी । कालका से हम लोग उस टॉय ट्रेन में एक डब्बे में चढ़ गए । छोटी सी ट्रेन के छोटे छोटे डिब्बे हम लोग पहली बार देख रहे थे तो बड़ा अच्छा लग रहा था । चूंकि हमें यह बताया गया था कि इस रूट पर अनेक टनल और पुल आते हैं जिन्हें देखकर आनंद आता है । इसलिए एक साइड की खिड़की पर श्रीमती जी और उनके सामने वाली सीट पर हमारी बेटी बैठ गई थी और उसके विपरीत दिशा वाली एक खिड़की पर हम बैठ गए । हमारे सामने वाली सीट खाली पड़ी थी । इतने में एक सुंदर सी युवा लड़की आई और हमसे पूछा कि उस खाली सीट पर कोई बैठा तो नहीं है । हमने ना की मुद्रा में गर्दन हिला दी । वह उस जगह बैठ गई । देखने में लग रहा था कि वह कॉलेज में पढ़ती होगी । 
ट्रेन रवाना हो गई और टनल का सफर शुरू हो गया । वाकई सफर बहुत आनंद दायक था । पहाड़ियों पर दूर दूर तक फैले वृक्ष बहुत मनोहर लग रहे थे । पहाड़ी क्षेत्र में वृक्ष मैदानी क्षेत्र से पृथक होते हैं । वैसे वृक्ष मैंने पहले देखे नहीं थे इसलिए मेरी रुचि इसमें थी कि मैं यह जानूं कि वो कौन से वृक्ष हैं । वहां कौन‌ बताये ? अचानक मेरा ध्यान सामने बैठी लड़की पर गया । फिर मुझे एक शरारत सूझी । मैंने श्रीमती जी की ओर देखा । वे पहाड़ों के दृश्य देखने में व्यस्त थीं । बस, हमने उन्हें जी भरकर जलाने का बंदोबस्त कर लिया । इसके लिए सामने बैठी लड़की को मोहरा बनाना पड़ा । 
हमने सामने बैठी लड़की से उन वृक्षों के बारे में पूछना शुरू कर दिया । धीरे धीरे उसने अपना नाम बताया । कौन सी क्लास में पढ़ती है , कहां रहती है , सब बताने लगी । चूंकि हम लोग पहली बार हिमाचल प्रदेश में आये थे इसलिए मैं इसमें इंटरस्टेड था कि यहां पर कौन कौन सी जगह घूमने की है । हिमाचल प्रदेश की संस्कृति , खान पान , रहन सहन , परंपराएं सबके बारे में जानकारी कर रहा था । साथ साथ श्रीमती जी को जलाने का भी उद्देश्य भी था । 
हमारी श्रीमती जी अक्सर कहती थीं कि उन्होंने मेहरबानी कर हमें "घास" डाल दी थी नहीं तो हम ऐसे ही किसी जंगल में जंगली जानवरों की तरह भटकते रहते । तो आज हमने भी ठान लिया था कि हम आज उनका यह भ्रम तोड़ देंगे । 
वह लड़की सुंदर तो थी ही बातें भी खूब कर रही थीं । और मुस्करा मुस्कुरा कर बातें कर रही थीं । मैंने एक बार श्रीमती जी की ओर देखा । बाप रे ! उनके चेहरे पर अप्रसन्नता के  भाव स्पष्ट नजर आ रहे थे । उनकी हालत देखकर हमें बड़ा आनंद आया । हम उन्हें अभी और जलाना चाहते थे ।  इसीलिए हमने उन्हें अनदेखा करते हुए अपने मिशन में लगे रहे । 
हम भी उस लड़की से मुस्कुरा कर बातें करने लगे । वह यहां तक खुल गई कि अपनी व्यक्तिगत बातें भी शेयर करने लगी थी । बीच में एक स्टेशन भी आया । शायद सोलन था या कोई और , ध्यान नहीं है । कुछ खाने पीने की गरज से हमने श्रीमती जी से पूछा कि क्या लाना है ? उनके चेहरे पर भयंकर तनाव व्याप्त था । उन्होंने स्पष्ट इंकार कर दिया । शायद गुस्से में ऐसा किया होगा ।  मैंने कहा कि यह ट्रेन एक दो बजे तक शिमला पहुंचेगी इसलिए कुछ खाना पीना भी जरूरी है । लेकिन वो टस से मस नहीं हुई । फिर मैंने बेटी से पूछा तो वह भी नाराज सी लगी । बच्चे अपनी मम्मी का मूड कितनी अच्छी तरह से जानते हैं , यह मुझे उस दिन ज्ञात हुआ ।  मेरा मूड कब ठीक होता है कब खराब , पता नहीं कभी बच्चों ने ध्यान दिया कि नहीं , लेकिन बच्चे मम्मी के मूड का पूरा ध्यान रखते हैं । पूरे दिन उन्हीं से वास्ता पड़ना है शायद इसीलिए । 
अब मेरे लिए खतरे की घंटी बज चुकी थी । खतरे की घंटी क्या मुझे तो अपराधी घोषित कर दिया गया था । बस सजा सुनाने की तैयारी थी । पर अब क्या हो सकता है ? घर को आग तो लग चुकी थी और लगाने वाला और कोई नहीं हम स्वयं ही थे । अतः हमने सोच लिया कि अब उस लड़की से बात नहीं करेंगे । मगर वह लड़की तो चुप होने का नाम ही नहीं ले रही थी । चिपक सी गई थी वह । मैं बार बार कनखियों से श्रीमती जी को देखता तो पाता कि उनका सारा ध्यान मेरे ऊपर ही है और‌ अब क्रोध और खीझ से चेहरा भी लाल होने लगा था । 
आखिर में शिमला आ ही गया । वह लड़की एक प्यारी सी स्माइल देकर उतर गई । हम तो श्रीमती जी के डर के कारण उस स्माइल के जवाब में स्माइल भी नहीं कर सके थे । अब जैसे ही हम लोग ट्रेन से नीचे उतरे , श्रीमती जी ने घोषणा कर दीं कि वो गंगानगर वापस जायेंगी । शिमला के रेलवे स्टेशन से ही वापस जाना है । उन्होने कहा कि हमें बीवी की जरूरत ही नहीं है ‌। बहुत दुनिया है जिससे हम हंस बोल‌ सकते हैं सिवाय बीवी के । हमको अंदर ही अंदर अच्छा लग रहा था पर डर भी लगने लगा था कि ये बम फूटेगा तो पता नहीं क्या क्या ध्वस्त करेगा । हमें हमारी सफलता पर अभिमान भी हो रहा था लेकिन बम फूटने से न जाने कितना नुक़सान होगा इसकी आशंका भी थी । 
अब हमने सारा कौशल श्रीमती जी को मनाने में लगा दिया । श्रीमती जी का कहना है कि ना तो हमें लड़की पटाना आता है और ना ही बीवी को मनाना । हम ये स्वीकार करते हैं कि वाकई हमें ये दोनों काम नहीं आते हैं । लड़की कभी पढाई नहीं और बीवी अपने आप मान जाती है । पर उस दिन पूरे दो घंटे की मान मनौव्वल के बाद वे मानी और शिमला में होटल में चलने के लिए राजी हुई । जिंदगी में पहली बार पता चला कि बीवी को कैसे मनाया जाये ? इसके लिये ऊठक बैठक भी लगानी पड़ी थी । आखिर अपराध भी बड़ा था न । बीवी के सामने ही किसी सुंदर लड़की से हंस हंसकर बातें करने से बड़ा अपराध और कोई हो सकता है क्या ? 
बीवी तो बीवी, छुटकी भी बहुत नाराज थी । उसे भी मनाना पड़ा । बड़ी मुश्किल से होटल पहुंचे । होटल बड़ा शानदार था जिसे देखकर दोनों खुश हो गईं । इस प्रकार यह यात्रा बड़ी खट्टी मीठी रही । फिर तो बाद में शिमला के बड़े आनंद लिए । उसके बाद कान पकड़ लिए कि "जलाने" के चक्कर में खुद जल जाने का भी खतरा बन जाता है । 
भारतीय स्त्रियों की एक बहुत बड़ी विशेषता है कि जिस प्रकार पतिदेव किसी लड़की के बारे में बड़े चाव से बात करते हैं , उसकी झूठी सच्ची कहानी बताते हैं , पत्नियां कभी किसी पुरुष के बारे में कोई बात नहीं करतीं । जब इस बारे में मैंने श्रीमती जी से पूछा तो वे कहने लगीं कि हम तो सपनों में भी किसी पराये मर्द के बारे में नहीं सोचते हैं । यह अमर वाक्य सुनकर मैं हमारी श्रीमती जी का अनन्य भक्त बन गया साथ में भारतीय स्त्रियों के प्रति मेरे मन में श्रद्धा तो पहले ही बहुत थी, अब और ज्यादा हो गई । 
श्री हरि 
11.11.22 

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6 Comments

shahil khan

20-Mar-2023 07:08 PM

nice

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Radhika

09-Mar-2023 01:07 PM

Nice

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shweta soni

04-Mar-2023 09:40 PM

👌👌👌

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